Thursday, June 12, 2008

जल रहा हूँ मैं

जल रहा हूँ मैं ,
कैसे .....
चरागों की तरह ?
नही नही...
उसकी जलन मैं तो,
छिपी है नीश्वर्थ सेवा,
भला मेरे जलन मैं वैसी बात कहाँ,
तो फीर जुगुनू की तरह ,
ना ! ना !
वो जलता है कहाँ?
उसके जलन से,
उसके अस्तित्व पे ,
भला खतरा कहाँ?
तब फीर कीस तरह?
जल रहा हूँ मैं....
बीन आग, बीन धुवाँ,
बीन ताप, बीन उष्मा
मगर मेरा ये हाल,
भला कीसने देखा, कीसने सुना ,
कीसने सुना कीसने सुना.........

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